पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, लोगों की दीदी और बंगाल की शेरनी ऐसे कई नाम मिले हैं ममता बनर्जी को| इस समय वे पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव में भाजपा से सीधे टक्कर लेने के लिए सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं| हमेशा साधारण सूती कपड़े, हवाई चप्पल पहने दीदी जनता के लिए कई कोस दूर पैदल ही चल पड़ती हैं| आज वे 66 साल की हो गई हैं| उन्होंने सबसे युवा सांसद, बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री जैसे कई मुकाम अपने जीवन में हासिल किए| आज जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास बातें|
गरीबी से निकल पाया सत्ता का शिखर
ममता बनर्जी का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में पांच जनवरी 1955 को हुआ था| पिता प्रोमिलेश्वर बनर्जी और उनकी माँ गायत्री देवी थीं| जब ममता बनर्जी केवल नौ साल की थी तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया| परिवार की सारी जिम्मेदारी अब उनकी मां के कांधों पर आ गई थी| छोटे भाई-बहनों को पालने के लिए उन्होंने दूध बेचना शुरू किया और ऐसे में वह मां की सहायता करने लगी| बचपन से ही वे काफी मेहनती थीं| स्कूल के दिनों से ही उनकी दिलचस्पी राजनीति में थी| केवल 15 साल की कम उम्र में वे कांग्रेस का हिस्सा बन गई थी| इसके बाद उन्होंने उसी वर्ष जोगमाया देवी कॉलेज में छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की| इसके बाद वाम दलों की ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन को हराकर अपने राजनीतिक करियर की नींव रखी| सत्तर के दशक में ही जब वे कॉलेज में पढ़ रही थी तब कांग्रेस ने उन्हें राज्य महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया|
प्रणब मुखर्जी ने पहचाना टैलेंट
1983 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक के दौरान प्रणब मुखर्जी और ममता बनर्जी की मुलाक़ात हुई| तब उन्होंने दीदी की प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की बात कही| इसके बाद पार्टी ने उन्हें साल 1984 के चुनाव में जादवपुर लोकसभा सीट से चुनावी रण में उतारा| उस समय उन्होंने वो कर दिखाया जो राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गजों के लिए भी मुश्किल था| उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सीपीएम के दिग्गज सोमनाथ चटर्जी को करारी हार का सामना कराया| और अब वे देश की सबसे युवा सांसद बन चुकी थीं| यहीं से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया| उस समय प्रणब मुखर्जी ने यह कह दिया था कि ये लड़की राजनीती के शिखर तक पहुंचेंगी|
कांग्रेस को अलविदा कह रखी तृणमूल कांग्रेस की नींव
वर्ष 1997 मेंबनर्जी ने खुद को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग कर लिया और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की, जिसे टीएमसी या एआईटीएमसी भी कहा जाता है| ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल, भारत की नौवीं मुख्यमंत्री हैं| वह राज्य के मुख्यमंत्री पद पर कार्य करने वाली पहली महिला है| 19 मई 2016 कोवह लगातार दो बार जीतने वाली एकमात्र महिला मुख्यमंत्री बनीं| आठवें मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के अंत में जबरदस्त जीत के तुरंत बाद उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे|
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